7 सितंबर को गणेश चतुर्थी है और इसी दिन से गणेश उत्सव का शुभारंभ होगा। यह महोत्सव 10 दिनों तक चलता है और इसका समापन अनंत चतुर्दशी पर होता है। अनंत चतुर्दशी के दिन गणपति विसर्जन किया जाता है। इस साल गणेश विसर्जन 17 सितंबर को होगा। गणेश भक्त इस त्योहार को बड़े उत्साह और धूमधाम से मनाते हैं। सड़कों से लेकर मंदिरों तक गणपति बप्पा के जयकारे गूंजते हैं। इस त्योहार का सबसे भव्य दृश्य मुंबई में देखने को मिलता है।

हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से पूरे देश में गणेश चतुर्थी पर्व की शुरुआत होती है। मान्यता है कि गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश धरती पर अवतरित होते हैं और अपने भक्तों को अगले 10 दिनों तक सेवा और भक्ति का अवसर प्रदान करते हैं। इस दिन घरों, मंदिरों और बड़े पंडालों में गणेश भगवान की प्रतिमा स्थापित की जाती है और उनकी विधिपूर्वक पूजा की जाती है। अनंत चतुर्दशी के दिन ‘गणपति बप्पा मोरिया’ के जयकारों के साथ गणेश प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है।

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल गणेश चतुर्थी 6 सितंबर को दोपहर 03:01 बजे प्रारंभ होगी और 7 सितंबर को शाम 05:37 बजे समाप्त होगी। इसी कारण गणेश चतुर्थी 7 सितंबर को मनाई जाएगी। भगवान गणेश की मूर्ति स्थापना का शुभ मुहूर्त 7 सितंबर को सुबह 11:03 बजे से लेकर दोपहर 01:34 बजे तक रहेगा। इस दौरान, मूर्ति स्थापना के लिए आपको करीब 2 घंटे 31 मिनट का समय मिलेगा।

गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा करने से मनोकामनाएँ पूर्ण हो सकती हैं। इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि कर लें। फिर लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं, उस पर अक्षत रखें और चंदन से स्वस्तिक बनाएं। इसके बाद गणपति जी की मूर्ति स्थापित करें। गणेश जी को स्थापित करते समय ‘वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ. निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥’ मंत्र का पांच बार जाप करें।

गणेश जी को गंगाजल से स्नान कराएं और उन्हें वस्त्र, जनेऊ, चंदन, दूर्वा, अक्षत, धूप, दीप, शमी पत्ता, पीले फूल और फल अर्पित करें। उन्हें सिंदूर, दूर्वा और घी चढ़ाएं और 21 मोदक का भोग लगाएं। इसके बाद गणेश जी की आरती करें और अपनी मनोकामनाओं के लिए आशीर्वाद प्राप्त करें। पूजा के बाद गणपति को लड्डू का भोग लगाएं और इसे प्रसाद के रूप में वितरित करें।

गणेश जी की मूर्ति को घर में पूर्व या ईशान कोण में स्थापित करें। गणेश जी की मूर्ति को दक्षिण या दक्षिण-पश्चिम कोण में न रखें। गणेश जी पर तुलसी या शंख से जल न चढ़ाएं। पूजा के दौरान नीले या काले रंग के कपड़े न पहनें और चमड़े की वस्तुओं का उपयोग न करें।

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