शारदीय नवरात्रि 2024 इस वर्ष 3 अक्टूबर, बुधवार को आरंभ हो रही है। यह पर्व हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है, जिसमें मां दुर्गा की पूजा और कलश स्थापना का विशेष महत्व होता है। नवरात्रि पूजा के मुहूर्त, कलश स्थापना का समय, और अन्य प्रमुख जानकारी नीचे दी गई है:

शारदीय नवरात्रि का महत्त्व:

हिंदू पंचांग के अनुसार, हर वर्ष दो बार नवरात्रि का पर्व आता है—एक बार वसंत ऋतु में और दूसरी बार शरद ऋतु में। शारदीय नवरात्रि का आरंभ आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होता है, और इस दौरान मां आदिशक्ति जगदम्बा का पूजन किया जाता है। इस वर्ष शारदीय नवरात्रि का आरंभ 3 अक्टूबर से होगा और समापन 12 अक्टूबर को होगा।

इस वर्ष नवरात्रि का विशेष महत्त्व:

ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास के अनुसार, इस वर्ष नवरात्रि 9 के बजाय 10 दिनों की होगी, क्योंकि तृतीया तिथि में वृद्धि हुई है। 5 और 6 अक्टूबर को तृतीया तिथि रहेगी, जिसके कारण नवरात्रि का समापन 12 अक्टूबर को होगा। इस दिन नवमी पूजन के साथ विजयादशमी का पर्व भी मनाया जाएगा।

कलश स्थापना मुहूर्त:

  • घटस्थापना तिथि: 3 अक्टूबर 2024
  • शुभ मुहूर्त: प्रातः 6:24 से 8:45 बजे तक
  • अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:52 से दोपहर 12:39 बजे तक

कलश स्थापना की विधि:

नवरात्रि के पहले दिन, सुबह स्नान करके मंदिर की सफाई करें। मिट्टी के पात्र में जौ बोकर, जल से भरे हुए कलश पर रोली से स्वास्तिक बनाएं। इसमें मौली, सुपारी, दूब, और पंच पत्ते डालें। नारियल को लाल कपड़े से लपेटकर कलश के ऊपर रखें। इस प्रक्रिया के बाद, नवरात्रि के नौ व्रतों का संकल्प लें।

मां दुर्गा की सवारी और प्रभाव:

इस वर्ष मां दुर्गा डोली या पालकी पर सवार होकर आ रही हैं, जिसे शुभ संकेत नहीं माना गया है। इसका प्रभाव आर्थिक मंदी, स्वास्थ्य समस्याओं और अप्राकृतिक घटनाओं के रूप में देखा जा सकता है।

नवमी और विजयादशमी:

12 अक्टूबर को नवमी पूजन के साथ ही विजयादशमी का पर्व भी मनाया जाएगा। इस दिन शस्त्र पूजा और रावण दहन की भी परंपरा है।

शारदीय नवरात्रि से जुड़ी सभी पूजा विधियों और विशेष मुहूर्त का ध्यान रखते हुए, आप इस पर्व का समुचित रूप से आनंद ले सकते हैं।

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